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शुक्रवार, 31 जनवरी 2025

छोटे कदम, बड़ी मंज़िल

छोटे कदम, बड़ी मंज़िल
भाग 1: सपना और सच्चाई

किसी छोटे से गाँव में एक लड़का रहता था—अर्जुन। वह गरीब था लेकिन उसके सपने बड़े थे। उसकी माँ गाँव में सिलाई करती और पिता मज़दूरी करते। अर्जुन पढ़ाई में बहुत अच्छा था, लेकिन उसके पास अच्छे स्कूल में जाने के लिए पैसे नहीं थे।

एक दिन उसने अपने पिता से कहा, "बाबा, मैं बड़ा आदमी बनना चाहता हूँ, कुछ ऐसा करना चाहता हूँ जिससे हमारा गाँव भी मुझ पर गर्व करे!"

पिता मुस्कुराए और बोले, "बेटा, सपना देखना अच्छी बात है, लेकिन मेहनत ही तुम्हें वहाँ तक पहुँचा सकती है।"


गाँव में स्कूल की हालत बहुत खराब थी। किताबें पुरानी थीं और शिक्षक भी नियमित रूप से नहीं आते थे। लेकिन अर्जुन ने हार नहीं मानी। वह गाँव की सबसे पुरानी लाइब्रेरी में बैठकर किताबें पढ़ता, पुराने अखबारों से नई-नई बातें सीखता और खुद को हर दिन बेहतर बनाने की कोशिश करता।

गर्मी की दोपहर हो या सर्दियों की ठिठुरती रातें, वह गाँव के पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करता। गाँव वाले उसकी लगन देखकर हैरान थे।


एक दिन, गाँव के स्कूल में एक सरकारी परीक्षा की घोषणा हुई। जो भी परीक्षा पास करता, उसे शहर के बड़े स्कूल में स्कॉलरशिप मिलती। अर्जुन के लिए यह एक बड़ा मौका था। लेकिन एक समस्या थी—उसके पास परीक्षा की फीस भरने के लिए पैसे नहीं थे।

माँ ने अपनी पुरानी चूड़ियाँ बेच दीं और पिता ने एक हफ्ते तक बिना खाए मजदूरी की, तब जाकर अर्जुन की परीक्षा की फीस भरी जा सकी।

"अब तुम्हें जीतना ही होगा, अर्जुन!" उसकी माँ ने कहा, आँखों में आँसू लिए।


अर्जुन ने परीक्षा दी और पूरे जिले में पहला स्थान प्राप्त किया। उसकी मेहनत रंग लाई। उसे शहर के सबसे अच्छे स्कूल में पढ़ाई करने का मौका मिला।

गाँव के लोग गर्व से उसका नाम लेने लगे। जिन लोगों ने कभी उसका मज़ाक उड़ाया था, वे भी उसकी तारीफ करने लगे। अर्जुन ने गाँव के सभी बच्चों को प्रेरित किया कि अगर मेहनत की जाए, तो कोई भी सपना सच हो सकता है।


सालों की मेहनत के बाद, अर्जुन एक सफल इंजीनियर बना। लेकिन उसने सिर्फ अपनी ज़िंदगी नहीं बदली, बल्कि गाँव की तक़दीर भी बदलने का फैसला किया।

उसने गाँव में एक नया स्कूल खोला, जहाँ हर बच्चे को मुफ्त शिक्षा मिली। उसने अपनी माँ-पिता के नाम पर एक लाइब्रेरी भी बनवाई ताकि कोई और अर्जुन उस पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई न करे, बल्कि अच्छे स्कूल में जाकर अपने सपने पूरे करे।

गाँव के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति ने अर्जुन से कहा, "बेटा, तुमने साबित कर दिया कि छोटे कदम भी बड़ी मंज़िल तक पहुँचा सकते हैं।"

अर्जुन मुस्कुराया, क्योंकि वह जानता था—"अगर हिम्मत हो, तो हालात कभी भी सपनों के रास्ते में नहीं आ सकते!"

शनिवार, 5 अक्टूबर 2024

सच्ची मित्रता का महत्व

      सच्ची मित्रता का महत्व 

एक गाँव में दो दोस्त, रामू और श्यामू, रहते थे। दोनों बचपन से साथ खेलते और पढ़ते थे। 
रामू बहुत समृद्ध था, जबकि श्यामू एक गरीब किसान था। लेकिन उनकी मित्रता में कभी भी धन का अंतर नहीं आया।एक दिन, रामू को एक बड़ा व्यापार करने का अवसर मिला। उसने श्यामू को भी अपने साथ चलने के लिए कहा। श्यामू ने कहा, "मेरे पास पैसे नहीं हैं, लेकिन मैं तुम्हारा साथ दूंगा।" रामू ने उसे आश्वासन दिया कि वह उसकी मदद करेगा।जब वे व्यापार के लिए शहर गए, तो रामू ने बड़ी सफलता प्राप्त की। उसने अपने धन का कुछ हिस्सा श्यामू को दिया, ताकि वह अपने खेत में काम कर सके। लेकिन जैसे-जैसे रामू अमीर होता गया, वह अपने दोस्त को भूलने लगा। उसने श्यामू से मिलना-जुलना कम कर दिया और अपने नए दोस्तों में घुलने लगा।एक दिन, रामू को एक बड़ा नुकसान हुआ। उसके सभी व्यापारिक निवेश असफल हो गए और वह कंगाल हो गया। वह बहुत दुखी और अकेला महसूस करने लगा। तभी उसे श्यामू की याद आई। उसने सोचा, "श्यामू ने कभी मेरी समृद्धि की परवाह नहीं की, लेकिन मैंने उसे भुला दिया।"रामू ने श्यामू से संपर्क किया और उसे अपनी स्थिति बताई। श्यामू ने तुरंत रामू को अपने घर बुलाया। उसने न केवल रामू का स्वागत किया, बल्कि उसे अपने खेत में काम करने का भी प्रस्ताव दिया। श्यामू ने कहा, "मित्रता में कठिन समय में एक-दूसरे का साथ देना ही सच्चा मित्र होना है।"रामू ने अपनी गलती समझी और अपने दोस्त के प्रति आभार व्यक्त किया। दोनों ने मिलकर फिर से काम शुरू किया, और रामू ने सीखा कि सच्ची मित्रता धन से नहीं, बल्कि विश्वास और सहयोग से बनती है।इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्चा मित्र वही होता है, जो कठिन समय में भी आपके साथ खड़ा रहे। धन और समृद्धि के साथ-साथ हमें अपने मित्रों की अहमियत भी समझनी चाहिए।

छोटे कदम, बड़ी मंज़िल

छोटे कदम, बड़ी मंज़िल भाग 1: सपना और सच्चाई किसी छोटे से गाँव में एक लड़का रहता था— अर्जुन । वह गरीब था लेकिन उसके सपने बड़े थे।...