छोटे कदम, बड़ी मंज़िल
भाग 1: सपना और सच्चाई
किसी छोटे से गाँव में एक लड़का रहता था—अर्जुन। वह गरीब था लेकिन उसके सपने बड़े थे। उसकी माँ गाँव में सिलाई करती और पिता मज़दूरी करते। अर्जुन पढ़ाई में बहुत अच्छा था, लेकिन उसके पास अच्छे स्कूल में जाने के लिए पैसे नहीं थे।
एक दिन उसने अपने पिता से कहा, "बाबा, मैं बड़ा आदमी बनना चाहता हूँ, कुछ ऐसा करना चाहता हूँ जिससे हमारा गाँव भी मुझ पर गर्व करे!"
पिता मुस्कुराए और बोले, "बेटा, सपना देखना अच्छी बात है, लेकिन मेहनत ही तुम्हें वहाँ तक पहुँचा सकती है।"
भाग 2: संघर्ष का सफर
गाँव में स्कूल की हालत बहुत खराब थी। किताबें पुरानी थीं और शिक्षक भी नियमित रूप से नहीं आते थे। लेकिन अर्जुन ने हार नहीं मानी। वह गाँव की सबसे पुरानी लाइब्रेरी में बैठकर किताबें पढ़ता, पुराने अखबारों से नई-नई बातें सीखता और खुद को हर दिन बेहतर बनाने की कोशिश करता।
गर्मी की दोपहर हो या सर्दियों की ठिठुरती रातें, वह गाँव के पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करता। गाँव वाले उसकी लगन देखकर हैरान थे।
भाग 3: परीक्षा की चुनौती
एक दिन, गाँव के स्कूल में एक सरकारी परीक्षा की घोषणा हुई। जो भी परीक्षा पास करता, उसे शहर के बड़े स्कूल में स्कॉलरशिप मिलती। अर्जुन के लिए यह एक बड़ा मौका था। लेकिन एक समस्या थी—उसके पास परीक्षा की फीस भरने के लिए पैसे नहीं थे।
माँ ने अपनी पुरानी चूड़ियाँ बेच दीं और पिता ने एक हफ्ते तक बिना खाए मजदूरी की, तब जाकर अर्जुन की परीक्षा की फीस भरी जा सकी।
"अब तुम्हें जीतना ही होगा, अर्जुन!" उसकी माँ ने कहा, आँखों में आँसू लिए।
भाग 4: सफलता की पहली सीढ़ी
अर्जुन ने परीक्षा दी और पूरे जिले में पहला स्थान प्राप्त किया। उसकी मेहनत रंग लाई। उसे शहर के सबसे अच्छे स्कूल में पढ़ाई करने का मौका मिला।
गाँव के लोग गर्व से उसका नाम लेने लगे। जिन लोगों ने कभी उसका मज़ाक उड़ाया था, वे भी उसकी तारीफ करने लगे। अर्जुन ने गाँव के सभी बच्चों को प्रेरित किया कि अगर मेहनत की जाए, तो कोई भी सपना सच हो सकता है।
भाग 5: लौटना और बदलाव लाना
सालों की मेहनत के बाद, अर्जुन एक सफल इंजीनियर बना। लेकिन उसने सिर्फ अपनी ज़िंदगी नहीं बदली, बल्कि गाँव की तक़दीर भी बदलने का फैसला किया।
उसने गाँव में एक नया स्कूल खोला, जहाँ हर बच्चे को मुफ्त शिक्षा मिली। उसने अपनी माँ-पिता के नाम पर एक लाइब्रेरी भी बनवाई ताकि कोई और अर्जुन उस पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई न करे, बल्कि अच्छे स्कूल में जाकर अपने सपने पूरे करे।
गाँव के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति ने अर्जुन से कहा, "बेटा, तुमने साबित कर दिया कि छोटे कदम भी बड़ी मंज़िल तक पहुँचा सकते हैं।"
अर्जुन मुस्कुराया, क्योंकि वह जानता था—"अगर हिम्मत हो, तो हालात कभी भी सपनों के रास्ते में नहीं आ सकते!"