सच्ची मित्रता का महत्व
एक गाँव में दो दोस्त, रामू और श्यामू, रहते थे। दोनों बचपन से साथ खेलते और पढ़ते थे।
रामू बहुत समृद्ध था, जबकि श्यामू एक गरीब किसान था। लेकिन उनकी मित्रता में कभी भी धन का अंतर नहीं आया।एक दिन, रामू को एक बड़ा व्यापार करने का अवसर मिला। उसने श्यामू को भी अपने साथ चलने के लिए कहा। श्यामू ने कहा, "मेरे पास पैसे नहीं हैं, लेकिन मैं तुम्हारा साथ दूंगा।" रामू ने उसे आश्वासन दिया कि वह उसकी मदद करेगा।जब वे व्यापार के लिए शहर गए, तो रामू ने बड़ी सफलता प्राप्त की। उसने अपने धन का कुछ हिस्सा श्यामू को दिया, ताकि वह अपने खेत में काम कर सके। लेकिन जैसे-जैसे रामू अमीर होता गया, वह अपने दोस्त को भूलने लगा। उसने श्यामू से मिलना-जुलना कम कर दिया और अपने नए दोस्तों में घुलने लगा।एक दिन, रामू को एक बड़ा नुकसान हुआ। उसके सभी व्यापारिक निवेश असफल हो गए और वह कंगाल हो गया। वह बहुत दुखी और अकेला महसूस करने लगा। तभी उसे श्यामू की याद आई। उसने सोचा, "श्यामू ने कभी मेरी समृद्धि की परवाह नहीं की, लेकिन मैंने उसे भुला दिया।"रामू ने श्यामू से संपर्क किया और उसे अपनी स्थिति बताई। श्यामू ने तुरंत रामू को अपने घर बुलाया। उसने न केवल रामू का स्वागत किया, बल्कि उसे अपने खेत में काम करने का भी प्रस्ताव दिया। श्यामू ने कहा, "मित्रता में कठिन समय में एक-दूसरे का साथ देना ही सच्चा मित्र होना है।"रामू ने अपनी गलती समझी और अपने दोस्त के प्रति आभार व्यक्त किया। दोनों ने मिलकर फिर से काम शुरू किया, और रामू ने सीखा कि सच्ची मित्रता धन से नहीं, बल्कि विश्वास और सहयोग से बनती है।इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्चा मित्र वही होता है, जो कठिन समय में भी आपके साथ खड़ा रहे। धन और समृद्धि के साथ-साथ हमें अपने मित्रों की अहमियत भी समझनी चाहिए।
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