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प्यार का इजहार

. प्यार का इज़हार एक दिन मैं उसी के बारे में सोच रहा था ! ओर फिर मैंने उसके दिए हुए नंबर पर कॉल किया ओर फ़ोन उसी ने उठाई फिर मैंने उससे बात किया ! वो बोली  कौन हो फिर मैं ने अपना नाम बताया तो वो हँसने लगी ! बोली बोलो किया हुवा ! हम ने उसे बोला बस यूँ ही कैसी हो तुम ? वो बोली मैं ठीक हूँ ! तुम अपना बताओ तुम कैसे हो ! मैंने भी बोला मैं भी ठीक हूँ !  फिर मैंने उसे बताया की कटिहार से आने के बाद मैं तुम्हें देखा नही हूँ ! तो अजीब से लग रहा है ! किया हम दोनों मिल सकते हैं ! वो बोली ठीक है ! मैं भी तुम से मिलना चाहती हूँ ! फिर हम ने बगीचे में मिलने को कहा उसे ! वो बोली ठीक है मैं आती हूँ ! मैं बगीचे में पहुँच गया ओर मैं उसका इंतज़ार करने लगा ! फिर थोड़ी देर में वो बगीचे में आई ! जब मैं उसे देखा तो मुझे बहुत सुकून मिला ! वो मुझे अपने सामने देख कर मुस्कुराने लगी ! फिर हम दोनों बातें करने लगे !     मैंने उसे अपनी दिल की बात बता दी ! मेरी बात वो सुनकर बोली मैं भी तुम्हें पसंद करती हूँ ! मगर मैं तुम्हें नही बता पाई ! मैं तुम को पहली बार जब मेले में देखा था ! तब से ही मैं तुम्हें पसंद करती  हूँ !

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प्यार का इज़हार

3. प्यार piyar का इज़हार एक दिन मैं उसी के बारे में सोच रहा था ! ओर फिर मैंने उसके दिए हुए नंबर पर कॉल किया ओर फ़ोन उसी ने उठाई फिर मैंने उससे बात किया ! वो बोली  कौन हो फिर मैं ने अपना नाम बताया तो वो हँसने लगी ! बोली बोलो किया हुवा ! हम ने उसे बोला बस यूँ ही कैसी हो तुम ? वो बोली मैं ठीक हूँ ! तुम अपना बताओ तुम कैसे हो ! मैंने भी बोला मैं भी ठीक हूँ !  फिर मैंने उसे बताया की कटिहार से आने के बाद मैं तुम्हें देखा नही हूँ ! तो अजीब से लग रहा है ! किया हम दोनों मिल सकते हैं ! वो बोली ठीक है ! मैं भी तुम से मिलना चाहती हूँ ! फिर हम ने बगीचे में मिलने को कहा उसे ! वो बोली ठीक है मैं आती हूँ ! मैं बगीचे में पहुँच गया ओर मैं उसका इंतज़ार करने लगा ! फिर थोड़ी देर में वो बगीचे में आई ! जब मैं उसे देखा तो मुझे बहुत सुकून मिला ! वो मुझे अपने सामने देख कर मुस्कुराने लगी ! फिर हम दोनों बातें करने लगे !       मैंने उसे अपनी दिल की बात बता दी ! मेरी बात वो सुनकर बोली मैं भी तुम्हें पसंद करती हूँ ! मगर मैं तुम्हें नही बता पाई ! मैं तुम को पहली बार जब मेले में देखा था ! तब से ही मैं तुम्हें पसंद करत

मेरा प्यार गाँव

                        हिंदी कविता                        मेरा  गाँव      कितना प्यारा मेरा गाँव       सुन्दर सा है मेरा गाँव                                              गाँव में रहते दादी-दादा                                           और साथ में रहते माता-पिता साथ में भाई-बहन भी रहते आपस में मिलजुलकर खेलते                                             सब मिलके है साथ में रहता                                             परिवार में एकता रहता घर का मुखिया दादा था जो कहता सो करता था                                             गाँव में सब कोई प्यार से रहता                                             कभी न कोई लड़ता-झगड़ता गाँव में जब गर्मी आता सब बगीचे में है जाता                                              बैठ कर सब बातें करता                                             कोई हँसता कोई गाता    ऐसा प्यारा मेरा गाँव सब को भाता अपना गाँव                       ----------> नूर आलम अंसारी (नूर बाबू)<---------