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जुलाई, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

gazal

ग़ज़ल- जला है दिल जलाने पर सुनो ये ही मुहब्बत है तुम्हें पाया गँवाने पर सुनो ये ही मुहब्बत है सज़ा ये थी कि मुझको छोड़ देना था यूँ ही तनहा चले आये बुलाने पर सुनो ये ही मुहब्बत है कहाँ कुछ ख़ास ऐसा था कि मर जाता तुम्हारे बिन रहा बैचेन जाने पर सुनो ये ही मुहब्बत है बड़ा आसान था मैं तोड़ देता प्यार का रिश्ता लगा हूँ मैं निभाने पर सुनो ये ही मुहब्बत है ज़माना चाहता था दूर करना बस तुम्हें मुझसे रहा भारी ज़माने पर सुनो ये ही मुहब्बत है कहानी ख़त्म होते ही उठा पर्दा हक़ीक़त से यकीं आया दिवाने पर सुनो ये ही मुहब्बत है हवाएँ ले उड़ी थीं साथ अपने उस परिंदे को चला आया ठिकाने पर सुनो ये ही मुहब्बत है ग़ज़लकार-विवेक 'बिजनौरी' समकालीन हिंदुस्तानी ग़ज़ल एप से ग़ज़लें पायें|

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ग़ज़ल- नहीं मालूम कितनी बढ़ गयी है मगर सच है उदासी बढ़ गयी है ये हासिल है क़रीब आने का अपने हमारे बीच दूरी बढ़ गयी है तुम्हारी याद का मौसम है बदला अचानक कितनी सर्दी बढ़ गयी है तुम्हारे बाद सब कुछ ठीक-सा है फ़क़त थोड़ी-सी दाढ़ी बढ़ गयी है ख़मोशी बढ़ गयी है कुछ दिनों से यकीं मानो कि काफ़ी बढ़ गयी है ग़ज़लकार-विवेक 'बिजनौरी' समकालीन हिंदुस्तानी ग़ज़ल एप से ग़ज़लें पायें| https://play.google.com/store/apps/details?id=com.gktalk.gajal_hindustani

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ग़ज़ल- भरी थी भीड़ जो मुझमें हटा रहा हूँ अब कि ख़ुद को ढूँढ़ के ख़ुद ही में ला रहा हूँ अब जो मुझमें तुम थे उसी को भुला रहा हूँ अब मैं ख़ुद को याद बहुत याद आ रहा हूँ अब बहुत ही शोर था उसका जो मेरे अंदर था ख़मोश करके उसे दूर जा रहा हूँ अब निकल गई है कोई शय जो मेरे अंदर थी उसी का ग़म है कि सबको रुला रहा हूँ अब वो दुनिया छोड़ चला जिसको मैं अखरता था इसी ख़ुशी का तो मातम मना रहा हूँ अब ये फ़न दिया है मुझे मयकशी ने बदले में चराग़ आँखों के अपनी जला रहा हूँ अब ग़ज़लकार-सैफुर्रहमान यूनुस 'सैफ़' समकालीन हिंदुस्तानी ग़ज़ल एप से ग़ज़लें पायें|
Aankhon me aakhen dal me achha Nahi Kiya, Dil Le Gayi Nikal Ke achha Nahi Kiya Ham Ji rahe the Teri Surat ko dekh kar Rukh pe naqab daal kar achha Nahi kiya Woh Bewafa ka pyar me usne Hamara Dil Tora Hai dekhbhal Ke achha nahin kiya are Gairon ka kya Gila Kare Apne Badal Gaye Humne Tumhare Pyar Ko ruswa Nahin Kiya khake Jigar par chot Bhi Shikwa Nahin Kiya kamzarf bhejte Hain Apne Jameer ko Humne Kabhi Zameer Ka Sauda Nahi Kiya Dono Jahan Mein Hoga Na Tujhko Sukoon Naseeb, Dil tune tod ke Noor ka achha Nahin Kiya, Mangi Thi Humne yaar Se khairaat Pyaar Ki, jalim Ne Humko tall ke achha Nahin kiya, Noor ye Darde Ishq hai tadpoge Umra Bhar, Tumne ye Rog pal ke achha Nahin Kiya,